Ganesh Ji Ki Aarti गणेश जी की आरती किसी भी शुभ कार्य करने से पहले या परिवार की सुख समृद्धि पाने के लिऐ हमेशा भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती हैं और माना जाता है की यह पूजा करने से सभी कार्य सफल हो जाते हैं । परंतु यह पूजा अर्चना बिना आरती के अधूरा माना जाता हैं।
PDF Name | Ganesh Ji Ki Aarti गणेश जी की आरती PDF |
PDF Size | 429 KB |
Language | Hindi |
No. Of pages | 01 |
PDF Category | Ganesh Ji Ki Aarti गणेश जी की आरती PDF |
Tags | Aarti Sangrah |
Table of Contents
Ganesh Ji Ki Aarti गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
गणपती आरती (मराठी)
सुखकर्ता दुःखहर्ता वारता विघ्नाची।
नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन:कामना पुरती।।
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमर।
चंदनाची उटी कुंकुमकेशर।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन:कामना पुरती।।
लंबोदर पीतांबर फणी वरवंदना।
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन:कामना पुरती।।
दास रामाचा वाट पाहे सदनी।
संकट दूर करी ठेवा अभयवानी।।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन:कामना पुरती।।
Ganesh Ji Ki Aarti गणेश जी की आरती (गणेश स्तुति)
वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफल चारु भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं, नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥
एकदन्तं महाकायं लम्बोदर गजाननम्।
विघ्ननाशं करूमिदेव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणेश पूजा विधि
गणेश पूजा विधि के माध्यम से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। यह विधि निम्नलिखित चरणों में संपन्न की जाती है:
सामग्री:
- गणेश प्रतिमा या तस्वीर
- पूजन थाली
- कलश (जल भरा हुआ)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- रोली, मौली, चंदन, अक्षत (चावल)
- फल, फूल, दूर्वा (दूब घास), पान, सुपारी
- दीपक, धूप, अगरबत्ती
- मिठाई (मोदक या लड्डू)
विधि:
1.शुद्धिकरण: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें और पूजा सामग्री को एकत्रित करें।
2.आसन ग्रहण: पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर को साफ स्थान पर स्थापित करें।
3.ध्यान और आवाहन: गणेश जी का ध्यान करें और उनका आवाहन करें:
(ऊँ गं गणपतये नमः)
4.कलश स्थापना: कलश में जल भरकर उसमें आम का पत्ता और नारियल रखें। इसे गणेश जी के समीप रखें।
5.आचमन: आचमन के लिए पानी हाथ में लें और तीन बार अपने मुख में डालें:
(ऊँ केशवाय नमः, ऊँ माधवाय नमः, ऊँ नारायणाय नमः)
6.पंचामृत स्नान: गणेश जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर स्वच्छ जल से धोएं।
7.वस्त्र अर्पण: गणेश जी को वस्त्र अर्पण करें।
8.सिंदूर और चंदन: गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर और चंदन लगाएं।
9.अक्षत और फूल: अक्षत (चावल) और फूल अर्पित करें।
10.धूप और दीप: धूप और दीप जलाकर गणेश जी की आरती करें।
11.नैवेद्य: गणेश जी को मोदक या लड्डू अर्पित करें।
12.दूर्वा अर्पण: दूर्वा घास गणेश जी को अर्पित करें। यह गणेश जी को अत्यंत प्रिय है।
13.प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को सभी भक्तों में बांटें।
14.प्रणाम: अंत में भगवान गणेश को प्रणाम करें और उनसे क्षमा याचना करें:
(क्षमा याचना मंत्र:
ऊँ तत्सत ब्रह्मार्पणमस्तु)